**Exposing Delhi LG VK Saxena: Misuse of Authority and Communal Agenda in the Delhi Wakf Board

**Exposing Delhi LG VK Saxena: Misuse of Authority and Communal Agenda in the Delhi Wakf Board Controversy**

**Rise Beyond Small Hearts, Overturn Big Seats**

By Ahmed Sohail Siddiqui

In the corridors of power where shadows creep,
Delhi’s truth lies buried, the wounds run deep.
VK Saxena, with authority’s disguise,
Plays the game of deceit beneath communal skies.

A single name for the Wakf Board’s reign,
Defying the Act, his agenda plain.
Rules were twisted, the law set aside,
Injustice walks where honor should abide.

Imams left unpaid, a cruel jest,
With fingers pointing to deflect the unrest.
But truth emerges, the agenda’s clear,
A communal gambit fueled by fear.

The AAP stood tall, their stance unwavering,
Against Saxena’s tactics, law persevering.
A tale of governance torn asunder,
By hands that seek to plunder and blunder.

The echoes of RSS, a divisive call,
Through Congress ties, they seek to enthrall.
Sandeep Dixit, with a hidden hand,
Bows to the shadows of a communal stand.

But Delhi watches, its spirit unbowed,
Through storms of deceit, its voice rings loud.
To the President, the people plea,
Remove the veil of tyranny.

Let no small-hearted leader sit on high,
Let the rule of law touch the sky.
For democracy’s flame, so fragile yet bright,
Must burn through the darkest night.

So rise, O Delhi, and claim your voice,
In unity and justice, make your choice.
For power corrupts where the heart is small,
But the people’s will shall conquer all.

********

By Ahmed Sohail Siddiqui

The Lieutenant Governor (LG) of Delhi, VK Saxena, has once again found himself at the center of controversy, this time for his alleged illegal intervention in the appointment process of the CEO of the Delhi Wakf Board. His actions not only violate the provisions of the Wakf Act, 1995, but also expose his larger agenda to target the Aam Aadmi Party (AAP) government in Delhi through propaganda and political machinations.

**The Controversial Appointment**

The LG’s decision to recommend just one name to the AAP government for the post of CEO of the Delhi Wakf Board blatantly disregards the legal provision that mandates the submission of a panel of two names. This violation of the Wakf Act, 1995, demonstrates a clear attempt to bypass established procedures and exert undue influence over the appointment process.

The AAP government, to its credit, stood firm against this unlawful move, refusing to succumb to the LG’s pressure tactics. By upholding the provisions of the Wakf Act, the AAP government has highlighted its commitment to the rule of law, in stark contrast to the LG’s apparent disregard for it.

**Targeting Delhi’s Muslim Community**

The LG’s actions have broader implications, particularly for the Muslim community in Delhi. Under his watch, the salaries of Delhi’s Imams were stopped, further fueling tensions. Instead of addressing the issue responsibly, VK Saxena blamed the AAP government, attempting to paint a narrative of inefficiency and neglect.

However, the truth lies in the LG’s own actions, which appear to be part of a larger agenda aligned with the BJP and RSS’s communal ideology. By creating roadblocks in governance and targeting minority institutions like the Wakf Board, the LG is perpetuating a divisive and destructive political strategy.

**A Communal Agenda**
VK Saxena’s role as LG seems less about governance and more about destabilizing the AAP government. His actions mirror the BJP’s national strategy of using constitutional positions to further a communal and political agenda. The interference in the Wakf Board, coupled with the denial of salaries to Imams, highlights an attempt to alienate and exploit the Muslim community for political gain.

**The Need for Accountability**

The LG’s misuse of power to push a communal agenda and defame the AAP government cannot go unchecked. His actions not only undermine the authority of the elected government but also threaten the secular fabric of India.

It is imperative for the President of India to take immediate action against VK Saxena. His removal from the post of LG and an investigation into his actions are essential to uphold the rule of law and protect Delhi’s governance from communal interference.

**Conclusion**

The Delhi Wakf Board controversy is a clear example of how constitutional positions are being misused to further political and communal agendas. VK Saxena’s actions have not only violated legal norms but also revealed a deliberate attempt to destabilize the AAP government.

The people of Delhi and the nation at large must remain vigilant against such tactics. It is only through accountability and adherence to the rule of law that India can safeguard its democratic and secular values. VK Saxena must be held responsible, and his misuse of power should serve as a reminder that no individual is above the law.

The role of Congress Party too is dictated by its Anti-Muslim agenda in Delhi, embedding Hindutva to win Hindu votes. Sandeep Dixit the Congress candidate against Kejriwal is the grandson of Uma Shankar Dixit the RSS man in Indira Gandhi’s Darbar. He has come out in open with his family ideology of RSS by having secret meetings with LG VK Saxena.

********

** दिल्ली एलजी वीके सक्सेना का पर्दाफाश: दिल्ली वक्फ बोर्ड विवाद में प्राधिकरण और सांप्रदायिक एजेंडे का दुरुपयोग**

**सत्ता के खेल में न्याय की पुकार **

अहमद सोहेल सिद्दीकी द्वारा

दिल्ली के दिल में एक खेल हुआ,
सत्ता के नाम पर छल बुन हुआ।
वीके सक्सेना की चालें घिनौनी,
वक्फ के अधिकारों पर साजिशें मौनी।

नियमों की पुस्तक थी उनके लिए बेमानी,
कानून का हनन, उनकी कहानियां पुरानी।
एक नाम सुझाकर किया प्रपंच,
न्याय के मंदिर में भर दिया जहर का अंश।

आप सरकार ने सीना तान खड़ा किया,
अन्याय के आगे कानून को जिया।
दबाव के तूफान से लड़ने का प्रण,
दिखाया कि धर्म और नियम हैं अमर।

मुसलमानों के दिलों में फैलाया डर,
इमामों का वेतन रोका, उनका हक छीनकर।
आरोप लगाए, पर सच ये कहता,
सांप्रदायिक एजेंडा हर शब्द में बहता।

भाजपा-आरएसएस का ये खेल पुराना,
विभाजन की राजनीति से सबका दिल जलाना।
वक्फ बोर्ड पर हमला, समुदाय पर वार,
सांप्रदायिकता की साजिश है सत्ताधार।

कांग्रेस भी अब हिंदुत्व को अपनाए,
गुप्त योजनाओं में अपने रंग दिखाए।
संदीप दीक्षित का खड़ा होना स्पष्ट,
राजनीति में छुपा उनका हिंदूवादी दृष्ट।

लेकिन दिल्ली की जनता है जागरूक,
हर चाल को देखती, हर सच को परख।
न्याय की मशाल को ऊंचा उठाओ,
सांप्रदायिकता को सत्ता से हटाओ।

राष्ट्रपति सुनो, ये न्याय की पुकार,
सक्सेना को हटाओ, बचाओ आधार।
कानून का शासन, धर्मनिरपेक्षता का मान,
इसे बचाना ही हो भारत का गान।

न कोई बड़ा, न कोई छोटा यहाँ,
सबके लिए कानून का एक ही जहां।
दिल्ली की मिट्टी से उठती है आस,
सत्य और न्याय से भरेंगे विश्वास।

सत्ता का दुरुपयोग अब नहीं सहेंगे,
सांप्रदायिकता के खिलाफ हम लड़ते रहेंगे।

********

अहमद सोहेल सिद्दीकी द्वारा

दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना एक बार फिर खुद को विवाद के केंद्र में पा रहे हैं, इस बार दिल्ली वक्फ बोर्ड के सीईओ की नियुक्ति प्रक्रिया में उनके कथित अवैध हस्तक्षेप को लेकर। उनके कार्य न केवल वक्फ अधिनियम, 1995 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं, बल्कि प्रचार और राजनीतिक साजिशों के माध्यम से दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को निशाना बनाने के उनके बड़े एजेंडे को भी उजागर करते हैं।

**विवादास्पद नियुक्ति**

दिल्ली वक्फ बोर्ड के सीईओ पद के लिए आप सरकार को केवल एक नाम की सिफारिश करने का एलजी का निर्णय उस कानूनी प्रावधान की स्पष्ट रूप से अवहेलना करता है जो दो नामों का पैनल प्रस्तुत करने को अनिवार्य करता है। वक्फ अधिनियम, 1995 का यह उल्लंघन, स्थापित प्रक्रियाओं को दरकिनार करने और नियुक्ति प्रक्रिया पर अनुचित प्रभाव डालने का स्पष्ट प्रयास दर्शाता है।

AAP सरकार, अपने श्रेय के लिए, एलजी की दबाव रणनीति के आगे झुकने से इनकार करते हुए, इस गैरकानूनी कदम के खिलाफ मजबूती से खड़ी रही। वक्फ अधिनियम के प्रावधानों को बरकरार रखते हुए, आप सरकार ने कानून के शासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को उजागर किया है, जो कि एलजी की स्पष्ट उपेक्षा के बिल्कुल विपरीत है।

** दिल्ली के मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाना**

एलजी के कार्यों का व्यापक प्रभाव है, खासकर दिल्ली में मुस्लिम समुदाय के लिए। उनकी देखरेख में, दिल्ली के इमामों का वेतन रोक दिया गया, जिससे तनाव और बढ़ गया। मुद्दे को जिम्मेदारी से संबोधित करने के बजाय, वीके सक्सेना ने आप सरकार पर आरोप लगाया और अक्षमता और उपेक्षा की कहानी पेश करने का प्रयास किया।

हालाँकि, सच्चाई एलजी के अपने कार्यों में निहित है, जो भाजपा और आरएसएस की सांप्रदायिक विचारधारा से जुड़े एक बड़े एजेंडे का हिस्सा प्रतीत होता है। शासन में बाधाएं पैदा करके और वक्फ बोर्ड जैसे अल्पसंख्यक संस्थानों को निशाना बनाकर, एलजी एक विभाजनकारी और विनाशकारी राजनीतिक रणनीति अपना रहे हैं।

**एक सांप्रदायिक एजेंडा**
एलजी के रूप में वीके सक्सेना की भूमिका शासन के बारे में कम और आप सरकार को अस्थिर करने के बारे में अधिक लगती है। उनके कार्य सांप्रदायिक और राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए संवैधानिक पदों का उपयोग करने की भाजपा की राष्ट्रीय रणनीति को दर्शाते हैं। वक्फ बोर्ड में हस्तक्षेप, साथ ही इमामों को वेतन देने से इनकार, राजनीतिक लाभ के लिए मुस्लिम समुदाय को अलग-थलग करने और उनका शोषण करने के प्रयास को उजागर करता है।

**जवाबदेही की आवश्यकता**

सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाने और आप सरकार को बदनाम करने के लिए एलजी द्वारा सत्ता का दुरुपयोग अनियंत्रित नहीं हो सकता। उनके कृत्य न केवल निर्वाचित सरकार के अधिकार को कमजोर करते हैं बल्कि भारत के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को भी खतरे में डालते हैं।

भारत के राष्ट्रपति के लिए वीके सक्सेना के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करना जरूरी है.’ कानून का शासन बनाए रखने और दिल्ली के शासन को सांप्रदायिक हस्तक्षेप से बचाने के लिए एलजी के पद से उन्हें हटाना और उनके कार्यों की जांच आवश्यक है।

**निष्कर्ष**

दिल्ली वक्फ बोर्ड विवाद इस बात का स्पष्ट उदाहरण है कि कैसे राजनीतिक और सांप्रदायिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए संवैधानिक पदों का दुरुपयोग किया जा रहा है। वीके सक्सेना के कार्यों ने न केवल कानूनी मानदंडों का उल्लंघन किया है बल्कि AAP सरकार को अस्थिर करने के जानबूझकर किए गए प्रयास का भी खुलासा किया है।

दिल्ली के लोगों और पूरे देश को इस तरह की रणनीति के खिलाफ सतर्क रहना चाहिए। जवाबदेही और कानून के शासन के पालन के माध्यम से ही भारत अपने लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की रक्षा कर सकता है। वीके सक्सेना को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, और उनकी शक्ति का दुरुपयोग एक अनुस्मारक के रूप में काम करना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है।

कांग्रेस पार्टी की भूमिका भी दिल्ली में उसके मुस्लिम विरोधी एजेंडे से तय होती है, जिसमें हिंदू वोट हासिल करने के लिए हिंदुत्व को शामिल किया गया है। केजरीवाल के खिलाफ कांग्रेस के उम्मीदवार संदीप दीक्षित इंदिरा गांधी के दरबार के आरएसएस नेता उमा शंकर दीक्षित के पोते हैं। एलजी वीके सक्सेना के साथ गुप्त बैठकें करके वह आरएसएस की अपनी पारिवारिक विचारधारा के साथ खुलकर सामने आ गए हैं।

********

**دہلی کے ایل جی وی کے سکسینا کو بے نقاب کرنا: دہلی وقف بورڈ تنازعہ میں اتھارٹی کا غلط استعمال اور فرقہ وارانہ ایجنڈا**

**اقتدار کے کھیل میں انصاف کا مطالبہ**

تحریر: احمد سہیل صدیقی

دہلی کے دل میں کھیل ہوا
اقتدار کے نام پر دھوکا بُنا گیا۔
وی کے سکسینہ کی حرکتیں قابل نفرت ہیں۔
وقف حقوق پر سازشیں خاموش۔

اصولوں کی کتاب ان کے لیے بے معنی تھی
قانون شکنی، ان کے قصے پرانے ہیں۔
نام تجویز کر کے دھوکہ دیا،
انصاف کا مندر زہر سے بھر گیا۔

اے اے پی حکومت نے سینہ بلند کیا
ناانصافی سے پہلے قانون کی زندگی گزاری۔
دباؤ کے طوفان سے لڑنے کا عزم
ظاہر کیا کہ مذہب اور قوانین لافانی ہیں۔

مسلمانوں کے دلوں میں خوف پھیلانا۔
اماموں کی تنخواہیں روک دی گئیں اور ان کے حقوق چھین لیے گئے۔
الزام لگایا مگر سچ کہتا ہے
ہر لفظ میں فرقہ وارانہ ایجنڈا بہتا ہے۔

بی جے پی آر ایس ایس کا یہ کھیل پرانا ہے۔
تقسیم کی سیاست سے سب کے دل جلا رہے ہیں۔
وقف بورڈ پر حملہ، برادری پر حملہ،
حکمران طبقے کی طرف سے فرقہ واریت کی سازش ہے۔

کانگریس کو بھی اب ہندوتوا کو اپنانا چاہیے۔
خفیہ منصوبوں میں اپنے رنگ دکھائیں۔
سندیپ ڈکشٹ کا موقف واضح ہے،
ان کے ہندوانہ نظریات سیاست میں پوشیدہ ہیں۔

لیکن دہلی کے لوگ باخبر ہیں،
وہ ہر حرکت پر نظر رکھتی ہے، ہر سچائی کو پرکھتی ہے۔
انصاف کی مشعل کو بلند کرو
فرقہ واریت کو اقتدار سے ہٹا دیں۔

صدر صاحب سنو یہ ہے انصاف کی پکار
سکسینہ کو ہٹائیں، آدھار کو بچائیں۔
قانون کی حکمرانی، سیکولرازم کی اقدار،
اسے بچانا ہندوستان کا ترانہ ہونا چاہیے۔

یہاں کوئی بڑا نہیں کوئی چھوٹا نہیں
قانون کی حکمرانی سب کے لیے یکساں ہے۔
دہلی کی مٹی سے امید اٹھتی ہے
سچائی اور انصاف پر یقین سے بھر جائے گا۔

ہم مزید اختیارات کا ناجائز استعمال برداشت نہیں کریں گے۔
ہم فرقہ واریت کے خلاف لڑتے رہیں گے۔
********

احمد سہیل صدیقی

دہلی کے لیفٹیننٹ گورنر (ایل جی) وی کے سکسینہ اس بار دہلی وقف بورڈ کے سی ای او کی تقرری کے عمل میں مبینہ طور پر غیر قانونی مداخلت کی وجہ سے ایک بار پھر خود کو تنازعات کے مرکز میں پائے گئے ہیں۔ ان کے اقدامات سے نہ صرف وقف ایکٹ 1995 کی دفعات کی خلاف ورزی ہوتی ہے بلکہ پروپیگنڈے اور سیاسی چالوں کے ذریعے دہلی میں عام آدمی پارٹی (اے اے پی) حکومت کو نشانہ بنانے کے اس کے بڑے ایجنڈے کو بھی بے نقاب کیا جاتا ہے۔

**متنازعہ تقرری**

دہلی وقف بورڈ کے سی ای او کے عہدے کے لیے اے اے پی حکومت کو صرف ایک نام کی سفارش کرنے کا ایل جی کا فیصلہ اس قانونی شق کو نظر انداز کرتا ہے جو دو ناموں کے پینل کو پیش کرنے کو لازمی قرار دیتا ہے۔ وقف ایکٹ، 1995 کی یہ خلاف ورزی، قائم شدہ طریقہ کار کو نظرانداز کرنے اور تقرری کے عمل پر غیر ضروری اثر و رسوخ ڈالنے کی واضح کوشش کو ظاہر کرتی ہے۔

اے اے پی حکومت، اس کے کریڈٹ پر، اس غیر قانونی اقدام کے خلاف ثابت قدم رہی، اور ایل جی کے دباؤ کے ہتھکنڈوں کے سامنے جھکنے سے انکار کر دیا۔ وقف ایکٹ کی دفعات کو برقرار رکھتے ہوئے، اے اے پی حکومت نے قانون کی حکمرانی کے لیے اپنی وابستگی کو اجاگر کیا ہے، اس کے لیے ایل جی کی واضح نظر اندازی کے بالکل برعکس۔

**دہلی کی مسلم کمیونٹی کو نشانہ بنانا**

ایل جی کے اقدامات کے وسیع تر اثرات ہیں، خاص طور پر دہلی میں مسلم کمیونٹی کے لیے۔ اس کی نگرانی میں، دہلی کے اماموں کی تنخواہیں روک دی گئیں، جس سے کشیدگی میں مزید اضافہ ہوا۔ اس مسئلے کو ذمہ داری سے حل کرنے کے بجائے، وی کے سکسینہ نے اے اے پی حکومت کو مورد الزام ٹھہرایا، جس نے نااہلی اور غفلت کی داستان کو رنگنے کی کوشش کی۔

تاہم، سچائی ایل جی کے اپنے اعمال میں مضمر ہے، جو کہ بی جے پی اور آر ایس ایس کے فرقہ وارانہ نظریے کے ساتھ منسلک ایک بڑے ایجنڈے کا حصہ دکھائی دیتے ہیں۔ گورننس میں رکاوٹیں پیدا کرکے اور وقف بورڈ جیسے اقلیتی اداروں کو نشانہ بنا کر، ایل جی ایک تقسیم اور تباہ کن سیاسی حکمت عملی کو جاری رکھے ہوئے ہے۔

**ایک فرقہ وارانہ ایجنڈا**

LG کے طور پر VK Saxena کا کردار گورننس کے بارے میں کم اور AAP حکومت کو غیر مستحکم کرنے کے بارے میں زیادہ لگتا ہے۔ ان کے اقدامات فرقہ وارانہ اور سیاسی ایجنڈے کو آگے بڑھانے کے لیے آئینی عہدوں کو استعمال کرنے کی بی جے پی کی قومی حکمت عملی کا آئینہ دار ہیں۔ وقف بورڈ میں مداخلت، اماموں کو تنخواہوں سے انکار کے ساتھ، سیاسی فائدے کے لیے مسلم کمیونٹی کو الگ کرنے اور ان کا استحصال کرنے کی کوشش کو نمایاں کرتا ہے۔

**احتساب کی ضرورت**

فرقہ وارانہ ایجنڈے کو آگے بڑھانے اور اے اے پی حکومت کو بدنام کرنے کے لیے LG کی طاقت کا غلط استعمال روکا نہیں جا سکتا۔ اس کے اقدامات سے نہ صرف منتخب حکومت کے اختیارات کو نقصان پہنچا ہے بلکہ ہندوستان کے سیکولر تانے بانے کو بھی خطرہ ہے۔

ہندوستان کے صدر کے لیے ضروری ہے کہ وہ وی کے سکسینا کے خلاف فوری کارروائی کریں۔ قانون کی حکمرانی کو برقرار رکھنے اور دہلی کی حکمرانی کو فرقہ وارانہ مداخلت سے بچانے کے لیے اسے ایل جی کے عہدے سے ہٹایا جانا اور ان کے اعمال کی تحقیقات ضروری ہیں۔

**نتیجہ**

دہلی وقف بورڈ کا تنازع اس بات کی واضح مثال ہے کہ کس طرح آئینی عہدوں کا مزید سیاسی اور فرقہ وارانہ ایجنڈوں کے لیے غلط استعمال کیا جا رہا ہے۔ وی کے سکسینہ کے اقدامات نے نہ صرف قانونی اصولوں کی خلاف ورزی کی ہے بلکہ AAP حکومت کو غیر مستحکم کرنے کی دانستہ کوشش کا بھی انکشاف کیا ہے۔

دہلی کے عوام اور مجموعی طور پر قوم کو ایسے ہتھکنڈوں کے خلاف چوکنا رہنا چاہیے۔ جوابدہی اور قانون کی حکمرانی کے ذریعے ہی ہندوستان اپنی جمہوری اور سیکولر اقدار کی حفاظت کر سکتا ہے۔ وی کے سکسینہ کو ذمہ دار ٹھہرایا جانا چاہیے، اور اس کے اختیارات کا غلط استعمال اس بات کی یاد دہانی کے طور پر کام کرے کہ کوئی بھی فرد قانون سے بالاتر نہیں ہے۔

کانگریس پارٹی کا کردار بھی دہلی میں اس کے مسلم مخالف ایجنڈے کے ذریعے طے ہوتا ہے، جس میں ہندوتوا کو شامل کیا جاتا ہے تاکہ ہندوؤں کو ووٹ دیا جا سکے۔ کیجریوال کے خلاف کانگریس کے امیدوار سندیپ ڈکشٹ اندرا گاندھی کے دربار میں آر ایس ایس کے آدمی اوما شنکر ڈکشٹ کے پوتے ہیں۔ وہ ایل جی وی کے سکسینہ کے ساتھ خفیہ ملاقات کرکے آر ایس ایس کے اپنے خاندانی نظریہ کے ساتھ کھل کر سامنے آیا ہے۔

********

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Shopping Cart